Wednesday, August 8, 2007

है जरूरत वक़्त की............

है जरूरत वक़्त की तबियत बदलनी चाहिये..
अब निराशा एक भी मन में न पलनी चाहिये..
जिस राह पे उम्मीद का सूरज उदित होता मिले..
जिन्दगी उस राह पे हम सब की चलनी चाहिये..
यदि थकन उस राह पे थामती दामन मिले..
वो नये विश्वास की लपटों में जलनी चाहिये..
मानवों के भाग्य की खातिर तुझे मैं मांगता हूँ..
हे विधाता तेरी शक्ति मन को मिलनी चाहिये..
सिर्फ एक अभिलाष मन में जिन्दा रखना उम्र भर.
अपने होठों पर सदा एक प्यास पलनी चाहिये..
सिर्फ रग में बहती रौ को जग भला कब पूजता है..
उस उपासक के लिये रग लौ उगलनी चाहिये..
जोश की अग्नि प्रवाहित हो तेरी हर सांस में..
आती जाती सांस पे वो जोत जलनी चाहिये..
जिन्दगी को जीतने का अरमान मन में हो सखे..
एक विजेता की तरह ये उम्र ढलनी चाहिये..
"हो तेरा अहसास लोगों के लिये इतना अहम..
छोडे जब संसार तू...तो कमी तेरी खलनी चाहिये....
कमी तेरी खलनी चाहिये....

Tuesday, August 7, 2007

तेरे बिन पल भर गुजर होती नही......

हर किसी हाथ मैं लम्बी उमर होती नहीं..
टूटता हैं जब ये दिल ,दिल को खबर होती नहीं..
मांगता हूँ मौत तो सब लोग कहते हैं मसीहा..
कौन समझे जिन्दगी मुझसे बसर होती नहीं..
सूखते हैं लब पपीहे के भला हम क्या करें..
कम्बख्त ये बारिश कभी भी वक़्त पर होती नही..
तू ना करना देख कर कोशिश मुझे ओ बे-सबब..
ये हवा दुनियाँ में सब की नामावर होती नहीं..
"क्या करूँ अब हो गया है तुझसे इतना फांसला..
सच कहूँ पर तेरे बिन पल भर गुजर होती नही..
विपिन चौहान "मन"